शरीर, इंद्रियों के सहित, जीवित ही प्राप्ति होती उसे परमात्मा तत्व की। शरीर, इंद्रियों के सहित, जीवित ही प्राप्ति होती उसे परमात्मा तत्व की।
उस छिद्र से ब्रह्माण्ड के बाहर को निकली थी फिर जल की धारा। उस छिद्र से ब्रह्माण्ड के बाहर को निकली थी फिर जल की धारा।
शुकदेव जी कहें, हे राजन भरत जी का पुत्र सुमति था! शुकदेव जी कहें, हे राजन भरत जी का पुत्र सुमति था!
अस्तित्व का एहसास लेकिन अब करा दिया जाए। अस्तित्व का एहसास लेकिन अब करा दिया जाए।
बंधनों से वो मुक्त हो गए प्रभु का परमपद पा लिया। बंधनों से वो मुक्त हो गए प्रभु का परमपद पा लिया।
आबो हवा अर शुद्ध पानी अब नही वो गाँव। खो गया है आज वो, अमराइयों का गाँव।। आबो हवा अर शुद्ध पानी अब नही वो गाँव। खो गया है आज वो, अमराइयों का गाँव...